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Importance of sex education This Post Design By The Revolution Deshbhakt Hindustani

Importance of sex education

आज और सालों पहले के भारत में, बहुत डिफरेंस है। जहां एक और डेवलपमेंट ने देश के पूरे इन्फ्रास्ट्रक्चर को बदल दिया है, वहीं एजुकेशन और अवेयरनेस के कारण, आज एक ब्रॉड माइंड इंडियन सोसायटी हमारे सामने है। लेकिन आज भी सेक्स एजुकेशन से जुड़े कई ऐसे मुद्दे हैं, जिनपर हम खुलकर बात नहीं करना चाहते। अधिकतर महिलाएं और लड़कियां पैड व पीरियड्स के बारे में बात करने में कंफरटेबल फील नहीं करती, वहीं Puberty को लेकर, आप में से कितने परसेंट लोगों ने अपने बेटों के साथ खुलकर बात की है। क्या कभी आपके बच्चे ने Puberty के बारे में आपसे पूछा तो, उस वक्त आपका क्या रिस्पांस था। हो सकता है आप में से कुछेक लोगों ने बच्चों के साथ बात करके, उन्हें सब बताया होगा। लेकिन ज्यादातर ने इग्नोर किया होगा। या फिर आप टीनेजर्स से पूछना चाहूंगी कि क्या कभी आपने अपने परिवार या पेरेंट्स से सेक्स से जुड़े किसी भी टॉपिक के बारे में कोई बात की है। Surety के साथ कहा जा सकता है कि ज्यादातर बच्चों ने ऐसा कभी नहीं किया होगा। बाय बर्थ हमारे कुछ रिश्ते खुद ब खुद बन जाते हैं- जैसे माता-पिता, भाई-बहन और यही सब मिलकर आपका परिवार बनाते हैं। हमारे फैमिली मेंबर्स ही हैं, जिनके साथ हम अपने जीवन का सबसे ज्यादा समय बिताते हैं और यही कारण है कि वो हमारे सबसे ज्यादा क्लोज होते हैं। लेकिन जब बात सेक्स या सेक्शुअल एब्यूज से जुड़े किसी मुद्दे की आती है, तो अक्सर बच्चे अपने परिवार, माता-पिता को कुछ भी बताने से हिचकिचाते हैं।

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बच्चे जैसे-जैसे अपने बचपन से एडल्टहुड की ओर बढ़ते हैं, तो कई हार्मोनल चेंजेज की वजह से उनके मूड और बिहेवियर में बदलाव आता है। डिप्रेशन, चिड़चिड़ापन, Anxiety, Confusion और स्ट्रेस जैसी कई चीजें हैं, जो उस उम्र में बच्चों को परेशान करती हैं, ये वैसे तो नेचुरल हैं, लेकिन एक फिजिकल चेंज को देखकर बच्चों में अक्सर Low self-esteem यानी खुद में एक कॉन्फिडेंस की कमी, डर या डाउट बना रहता है। और इसी वजह से अक्सर युवा समाज से दूरी बनाना शुरू कर देते हैं। और समाज या परिवारों का औरा ही कुछ ऐसा होता है, कि लड़का हो या लड़की, चाहकर भी अपने डाउट्स को पेरेंट्स से शेयर नहीं कर पाते। क्या ऐसे समय में परिवार की जिम्मेदारी नहीं है कि वो खुद अपने बच्चों से बात करके उन्हें अवेयर करें। पेरेंट्स को, बच्चों के साथ अच्छे दोस्त बनकर रहना चाहिए, ताकि वो आपसे हर बात शेयर कर सकें। सेक्स एजुकेशन, बच्चों की मेंटालिटी को चेंज करती है और उनमें opposite gender के प्रति रिस्पेक्ट भी पैदा करती है। बच्चों को Co-ed schools में पढ़ाना भी सही है, क्योंकि ऐसे में वो opposite gender के साथ सहजता से बातचीत और अंडरस्टैंडिंग के साथ ज्यादा एक्सप्रेसिव बन पाते हैं। एक और जरूरी बात, यंगस्टर्स को इनफॉरमेशन की कमी के कारण relationships और sex के बारे में बहुत ही confusing and conflicting नॉलेज होती है। Maximum टाइम, बच्चों को इस बात की जानकारी नहीं होती है कि उनका यौन शोषण हो रहा है या वे अपने माता-पिता को इसके बारे में बताने से डरते हैं। हर परिवार और सोसायटी की जिम्मेदारी है कि एक पॉजिटिव एटिट्यूड के साथ युवाओं को इस सब के बारे में बताया जाए। कई बार यंगस्टर्स अपने intimate moments को शूट करते हैं, ऐसे में अपने बच्चों को न्यूड फोटो शेयर करने के consequences के बारे में बताया जाना चाहिए।

सिर्फ Puberty ही नहीं, 40 से 50 साल की उम्र में भी बॉडी में हार्मोनल चेंजेस आते हैं, जिसके कारण महिला हो या पुरुष दोनों के बिहेवियर में बदलाव और मूड स्विंग्स जैसी कई परेशानियां होती हैं। ऐसे में कई लोगों को यह लगता है कि उनका पार्टनर अब उनके लिए लॉयल नहीं है और किसी और के साथ रिलेशनशिप में है। ऐसे में कपल को, अपने पार्टनर की दुविधा को समझने की कोशिश करनी चाहिए, क्योंकि सेक्स हार्मोन का चेंज हमारे दिल, दिमाग और बॉडी को पूरी तरह इफेक्ट करता है। सेक्स एजुकेशन के बारे में बच्चों को बताना सिर्फ स्कूल की जिम्मेदारी नहीं है। पेरेंट्स को अपने बच्चों को पूरी जानकारी देनी चाहिए, कि क्या सही है और क्या गलत। दोस्तों और सोशल मीडिया से मिला नॉलेज, इन कंप्लीट हो सकता है और डेंजरस भी। देशभक्त हिंदुस्तानी के साथ मैं सिर्फ इतना कहना चाहूँगी कि एडल्टहुड में बच्चों के साथ खुलकर बात करेंगे, ताकि इन फ्यूचर कोई प्रॉब्लम होने पर वो आपको easily बता पाएं। याद रखें Sex education is safer than, no sex education. जाहिर है इसमें कुछ भी गलत नहीं है।